इमेज कॉपीरइट Reuters समय के साथ-साथ करप्शन के मायने भी बदल गए हैं. पश्चिमी देशों से इस तरह की ख़बरें आती हैं कि फ़लाने प्रधानमंत्री से पुलिस पूछताछ कर रही है कि इस बार उन्होंने अफ़्रीका में जो हॉलिडे गुज़ारी, उसके पैसे उन्हें किसने दिए या फलां देश की यात्रा के दौरान उन्हें जो हीरे की अंगूठी तोहफ़े में मिली, वो उन्होंने सरकारी ख़ज़ाने में जमा कराने की बजाय अपने पास क्यों रख ली? या फ़लां ठेका जब दिया जा रहा था तब प्रधानमंत्री ऑफ़िस से एक सिफ़ारिशी फ़ोन क्यों गया? ये वो आरोप हैं जिन पर सरकारें टूट जाती हैं, वज़ीर जेल चले जाते हैं या फिर हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते हुए रिटायर हो जाते हैं. मगर हमारे देशों में सुई की नोंक से करप्शन का हाथी भी निकल जाए तो माथे पर शिकन नहीं आती. हालांकि कल ही की तो बात है कि हमारे नेताओं की पिछली पीढ़ी कितनी ऐहतियात से काम लेती थी कि कहीं शेरवानी या दुपट्टे पर छींटा न पड़ जाए. मसलन मोहतरमा फ़ातिम जिन्ना हमेशा अपने और गवर्नर जनरल भाई मोहम्मद अली जिन्ना के लिए सरकारी बजट से छोटे साइज़ की डबल रोटी मंगवाती थीं क्योंकि बड़ी डबल रोटी ज़ाया हो जाती थी. फ़ील्ड मार्शल अय्यूब ख़ान के बारे में आपकी भले कैसी भी राय हो लेकिन राष्ट्रपति भवन में उन्होंने अपने परिवार के लिए होने वाले ख़र्चे और सरकारी ख़र्चे के अलग-अलग बहीखाते रखे हुए थे ताकि सरकारी और निजी ख़र्चा मिक्स-अप न हो जाए. मैंने ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो के एक कट्टर विरोधी प्रोफ़ेसर ग़फ़ूर अहमद से पूछा, "भुट्टो कितना भ्रष्टाचारी था?" उन्होंने फ़रमाया, "ऐसा होता तो जनरल ज़िया उल हक़ पूरा वाइट पेपर सिर्फ़ भुट्टो के माली करप्शन पर निकाल देता." मगर भुट्टो की फांसी के बाद गोया भ्रष्टाचार का फ़्लड गेट खोल दिया और हराम-हलाल का फ़र्क़ ख़त्म होता चला गया. 2010 में तुर्की की फ़र्स्ट लेडी ने पाकिस्तान में आने वाली बाढ़ के पीड़ितों की मदद के लिए एक क़ीमती हार पाकिस्तान के सरकारी फ़ंड को दान किया. पांच बरस बाद जब हार की ढुंढिया मची तो भूतपूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने बताया कि वो हार तो मेरे परिवार ने हिफ़ाज़त से रखा हुआ है. तुर्की की फ़र्स्ट लेडी मेरी बहन हैं.
नवंबर 2016 में भूतपूर्व जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने धड़ल्ले से बताया कि 2009 में सऊदी अरब के बादशाह और मेरे बड़े भाई शाह अब्दुल्लाह ने मुझे लंदन में फ़्लैट ख़रीदने के लिए एक भारी रक़म दी. ज़ाहिर है, ये भाइयों का आपसी मामला है. हम और आप कौन होते हैं नाक-भौं चढ़ाने वाले? काश कोई बादशाह मुझे भी ऐसे ही अपना भाई बना ले! बाद में पता चला कि इस फ़्लैट की बोली 30 लाख पाउंड स्टर्लिंग तक लगी. 'मिस्टर क्लीन' इमरान ख़ान को देश का ख़ज़ाना बचाने का इतना शौक़ है कि वो ज़रूरी सरकारी ख़र्चे भी दोस्तों के ख़ज़ाने पर फ़रमाना पसंद करते हैं. इत्तेफ़ाक़ से भगवान ने दोस्त भी ख़ां साहब को ऐसे मलंग दिए हैं जिन्हें सिवाय देशसेवा के कोई लालच नहीं है. मसलन, शुगर किंग जहांगीर तरीन का प्राइवेट विमान नए पाकिस्तान की सेवा में वक़्फ़ है. तीन दिन पहले प्रधानमंत्री ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में दावोस में बड़े फ़ख्र से बताया कि वो तो कभी सरकारी ख़र्चे पर इतनी महंगी यात्रा पर न आते मगर मेरे दोस्तों ने मेहरबानी की और मेरा ख़र्चा बर्दाश्त कर लिया. ये भी पढ़ें: 'सरफ़रोशी की तमन्ना' चिल्लाने वाली लड़कियां ही लाएंगी बदलाव इनमें से एक दोस्त हैं इकराम सहगल जिनकी पाकिस्तान में पाथ फ़ाइंडर नाम की सिक्योरिटी कंपनी और मार्टिन डाउ नाम की मल्टी नेशनल ड्रग कंपनी है. ये दोनों कंपनिया 2002 से दावोस में पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रही हैं. इसके बदले दोनों कंपनियों ने आज तक किसी हुकूमत से टके का फ़ायदा हासिल नहीं किया! एक और मुख़लिस पाकिस्तानी टाइकून मलिक रियाज़ हैं. उन्हें पाकिस्तान में लैंड डेवेलपमेंट का किंग कहा जाता है. उनकी दौलत, उनका विमान, ईमान और हेलिकॉप्टर पाकिस्तान के लिए वक़्फ़ है. किसी बेघर सियासतदान, अफ़सर, जज, जनरल को कोई भी रिहायशी या ग़ैर रिहायशी मुश्किल हो, मलिक साहब हमेशा दो क़दम आगे बढ़कर कहते हैं: मैं हू ना! कौन कहता है पाकिस्तान को दोस्तों की कमी है? ये भी पढ़ें: भारतीयों को निकालने पर अमित शाह क्या करेंगे? (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)