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considering the implementation of article 371 in jammu and kashmir why did you consider it

Posted by lipsius at 2020-02-14
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जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की ओर से जमीन, रोजगार, सामाजिक मान्यताओं और पहचान को सुनिश्चित बनाने के लिए किए जा रहे आग्रह को तवज्जो मिल सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 371 को लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। गृह मंत्रालय ने इस संदर्भ में जम्मू-कश्मीर के कानून विभाग को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजकर उसकी राय मांगी है। स्‍थानीय लोगों को अपनी पहचान को लेकर है संशय जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में पुनर्गठित करने के साथ ही केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के उन सभी प्रावधानों को भी समाप्त कर दिया था, जिनके तहत पुराने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार प्राप्त थे। पुनर्गठन से पहले जम्मू-कश्मीर में कोई भी अन्य राज्य का व्यक्ति स्थायी तौर पर यहां बस नहीं सकता था और न जमीन खरीद सकता था। वह राज्य सरकार के अधीनस्थ विभागों में नौकरी भी प्राप्त नहीं कर सकता था। अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में यह पाबंदियां समाप्त हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का विरोध कर रहे राजनीतिक दल लोगों में यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि अब बाहरी लोग आकर यहां नौकरियों, जमीनों पर कब्जा कर लेंगे। इससे स्थानीय लोगों की पहचान मिट जाएगी। जम्मू-कश्मीर प्रशासन जल्द केंद्र को देगा रिपोर्ट संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय के प्रस्ताव के बाद राज्य के कानून विभाग ने संबंधित विभागों, कानूनी जानकारों और अन्य पक्षों के साथ इस मुद्दे पर विचार- विमर्श भी शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 370 को भंग किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में जिस तरह की स्थिति उपजी है और लोगों में अपने अधिकारों को लेकर जो संशय और डर पैदा हुआ है, उसे दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। जल्द ही इस बारे में केंद्र को रिपोर्ट दे दी जाएगी। लद्दाख में भी हो रही अनुच्छेद 371 लागू करने की मांग

सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही नहीं, केंद्र शासित लद्दाख में भी विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठन अनुच्छेद 371 को लागू करने की मांग कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में भाजपा नेता भी कई बार कह चुके हैं कि स्थानीय लोगों के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक हितों के संरक्षण के लिए डोमीसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के अलावा अनुच्छेद 371 को लागू किया जाना चाहिए। पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन भी उठा चुके हैं मुद्दा पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ खड़ी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के संस्थापकों में शामिल पूर्व उप मुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति की बहाली और राजनीतिक गतिविधियों की पुनर्बहाली में सहयोग के मामले में अनुच्छेद 371 पर सहमति का संकेत दिया था। ऐसा हुआ तो कोई अलगाववादी खेमे का कभी साथ नहीं देगा कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ सलीम रेशी ने कहा कि आम कश्मीरी मुस्लिम अपनी पहचान और अपने राजनीतिक व आर्थिक अधिकारों को लेकर बहुत संवेदनशील है। अगर केंद्र सरकार अनुच्छेद 371 के तहत स्थानीय लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करती है तो मुझे नहीं लगता कि यहां कभी कोई भी अलगाववादी खेमे का कभी साथ देगा। क्या है अनुच्छेद 371 अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर समेत देश के 11 राज्यों में लागू है। इन राज्यों में अनुच्छेद 371 के अलग-अलग प्रावधान लागू हैं। इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर का पड़ोसी हिमाचल प्रदेश भी शामिल है। यह अनुच्छेद संबंधित राज्यों में स्थानीय लोगों की धार्मिक-सामाजिक मान्यताओं, स्थानीय कानूनों, स्थानीय लोगों के राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक अधिकारों का संरक्षण यकीनी बनाता है। हिमाचल प्रदेश में ऐसी है व्यवस्था हिमाचल प्रदेश में 25 साल तक रहने वाले को ही राज्य की स्थायी नागरिकता मिलती है। इसके बाद उसे वहां पर जमीन खरीदने के अधिकार के साथ सरकारी सुविधाओं का भी लाभ मिलता है। सरकारी नौकरियों में भी ऐसी ही व्यवस्था है। इसके लिए डोमीसाइल सर्टिफिकेट दिया जाता है। बाहर का कोई नागरिक अपने नाम पर हिमाचल में जमीन नहीं ले सकता। डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस